eClubStudy.Com

नौकरी, शिक्षा, करियर टिप्स, अध्ययन सामग्री, नवीनतम सरकारी नौकरियों, परीक्षा की तैयारी, सरकारी नौकरी परीक्षा, उत्तर कुंजी और अधिक अपडेट के लिए सर्वश्रेष्ठ वेबसाइट

History महत्वपूर्ण जानकारी सामान्य ज्ञान

औरंगजेब का इतिहास प्रारंभिक जीवन पारिवारिक विवाद शासनकाल | History of Aurangzeb in Hindi

आज के इस पोस्ट मे औरंगजेब का इतिहास History of Aurangzeb in Hindi के बारे मे जानेगे। वैसे तो हिंदुस्तान में सालो तक राज करने वाले औरंगजेब का प्रारंभिक जीवन, उनके पारिवारिक विवाद, शासनकाल और बुंदेला के युद्ध के बारे के साथ साथ Aurangzeb History Biography Jeevan Parichay In Hindi Date Of Birth, Birth Place, Father, Mother, Children, Fight, Mughal King, Empire, Controversy जानेगे

औरंगजेब का इतिहास

History of Aurangzeb in Hindi

History of Aurangzeb in Hindiतो चलिये अब इस पोस्ट मे औरंगजेब जीवन परिचय व इतिहास, जन्म तारीख, जन्म स्थान, पिता का नाम, माता का नाम, बच्चे, पत्नी, शासन, युद्ध, मुगल बादशाह, विवाद, किसने मारा था के बारे मे विस्तार से जानते है,

हिंदुस्तान में मुगलो ने कई सालों तक राज किया है। सबसे पहले मुगल बादशाह बाबर ने भारत में इस्लाम की नींव रखी थी। पूरे मुगल सल्तनत में सबसे शक्तिशाली मुगल बादशाह अकबर को माना जाता है।

औरंगजेब भारत देश के एक मुग़ल शासक था, जिन्होंने भारत में कई वर्षो तक राज्य किया. वे छठे नंबर के मुग़ल शासक था, जिन्होंने भारत में शासन किया. औरंगजेब ने 1658 से 1707 लगभग 49 साल तक शासन किया, अकबर के बाद यही मुग़ल था,जो इतने लम्बे समय तक राजा की गद्दी पर विराजमान रहा. इनकी मौत के बाद मुग़ल साम्राज्य पूरी तरह हिल गया था, और धीरे धीरे ख़त्म होने लगा था.

औरंगजेब ने अपने पूर्वज के काम को बखूबी से आगे बढाया था, अकबर ने जिस तरह मेहनत व लगन से मुग़ल साम्राज्य को खड़ा किया था, औरंगजेब ने इस सामराज्य को और समरधि प्रदान की व भारत में मुगलों का साम्राज्य और बढ़ाया था. लेकिन औरंगजेब को उसकी प्रजा ज्यादा पसंद नहीं करती थी, इसकी वजह थी उसका व्यवहार. औरंगजेब कट्टरपंथी, पक्के मुसलमान और कठोर किस्म के राजा थे, अकबर ने हिन्दू मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया था एवं वे अपनी हिन्दू प्रजा की जरूरतों का भी ख्याल रखते थे, लेकिन औरंगजेब ऐसा बिल्कुल भी ना था.

औरंगजेब का जीवन परिचय

Aurangzeb’s biography in Hindi

ऐसा माना जाता है, कि औरंगजेब ने खुद ही अपने नाम के आगे आलमगीर शब्द जुड़ा था, जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता। औरंगजेब का पूरा नाम अबुल मुजफ्फर मोहिउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब आलमगीर था। तो औरंगजेब जीवन परिचय को जानते है –

औरंगजेब जीवन परिचय

पूरा नाम – अब्दुल मुज्जफर मुहीउद्दीन मोह्हमद औरंगजेब आलमगीर

जन्म (Birth Date)  – 14 अक्टूबर 1618

जन्म स्थान (Birth Place) – दाहोद , गुजरात

माता-पिता (Parents) – मुमताज, शाहजहाँ

पत्नी  (Wife) – औरंगाबादी महल, झैनाबादी महल, बेगम नबाव बाई व उदैपुरी महल

बेटे (Son) – बहादुर शाह, आज़म शाह, मोह्हमद काम बख्श , मोह्हमद सुल्तान, सुल्तान मोह्हमद अकबर

मृत्यु (Death) – 3 मार्च 1707 ईसवी

3 नवंबर 1618 को औरंगजेब का जन्म गुजरात राज्य के दाहोद जिले में हुआ था। औरंगजेब की माता का नाम मुमताज महल और पिता का नाम शाहजहां था। वह अपने सभी भाई बहनों में तीसरे स्थान का पुत्र था। औरंगजेब का वास्तविक नाम मोहिउद्दीन मोहम्मद था।

औरंगजेब ने अपने नाम के आगे आलमगीर स्वयं लगाया था, जिसका अर्थ था विश्व विजेता. औरंगजेब की 4 बेटियां भी थी. औरंगजेब 6 भाई बहन थे, जिसमें से वे शाहजहाँ के तीसरे नंबर के पुत्र थे.

औरंगजेब का शुरूआती जीवन

Aurangzeb’s early life in Hindi

तैमूर घराने से ताल्लुक रखने वाला औरंगजेब सुन्नी इस्लाम धर्म का अनुयाई था। ऐसा माना जाता है, कि जब गुजरात के सूबेदार पद पर रहते हुए उनके पिता ने विद्रोह  के बाद असफलता प्राप्त किया था तो उसके बाद जहांगीर और नूरजहां ने औरंगजेब और उसके भाई  दारा शिकोह को बंदी बना लिया था।

शुरुआती जीवन में औरंगजेब ने अपने कुछ विशेष लोगों के जरिए फारसी और अरबी की शिक्षा ली थी। औरंगजेब बचपन से ही बहुत ही योग्य और शातिर मस्तिष्क का था। उसकी यह तमन्ना थी, कि अपने पिता शाहजहां के बाद मुगल सल्तनत का बादशाह वही बने।

औरंगजेब बाबर के खानदान के थे, जिन्हें मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है. औरंगजेब के जन्म के समय उनके पिता शाहजहाँ गुजरात के गवर्नर थे. महज 9 साल की उम्र में ही औरंगजेब को उनके दादा जहांगीर द्वारा लाहोर में बंधक बना लिया गया था, इसकी वजह उनके पिता का एक युद्ध में असफल होना था. 2 साल बाद 1628 में जब शाहजहाँ आगरा के राजा घोषित किये गए,

तब औरंगजेब व उनके बड़े भाई दारा शिकोह वापस अपने माता पिता के साथ रहने लगे. एक बार 1633 में आगरा में कुछ जंगली हाथियों ने हमला बोल दिया, जिससे प्रजा में भगदड़ मच गई, औरंगजेब ने बड़ी बहादुरी से अपनी जान को जोखिम में डाल, इन हाथियों से मुकाबला किया और इन्हें एक कोठरी में बंद किया. यह देख उनके पिता बहुत खुश हुए और उन्हें सोने से तोला और बहादुर की उपाधि दी.

औरंगजेब का पारिवारिक विवाद

Aurangzeb’s family dispute in Hindi

सम्राट औरंगजेब अपने बड़े भाई दारा शिकोह को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था। इतिहास के मुताबिक 1634 में बादशाह शाहजहां ने औरंगजेब को दक्कन प्रांत के सूबेदार के रूप में नियुक्त किया। शाहजहां का विवाह 1637 में रबिया दुर्रानी के साथ हुआ।

शाहजहां हमेशा औरंगजेब के मुताबिक उसके भाई दारा शिकोह को ज्यादा पसंद करते थे। दारा शिकोह कई बार अपने पिता को महत्वपूर्ण मामलों में सलाह भी देता था। एक बार जब औरंगजेब की बहन किसी दुर्घटना के कारण मारी गई तब कई दिनों तक औरंगजेब अपने घर नहीं लौटा।

अपनी सूझ बूझ से औरंगजेब अपने पिता के चहिते बन गए थे, महज 18 साल की उम्र में उन्हें 1636 में दक्कन का सूबेदार बनाया गया, 1637 में औरंगजेब ने सफविद की राजकुमारी दिलरास बानू बेगम से निकाह किया, ये औरंगजेब की पहली पत्नी थी. 1644 में औरंगजेब की एक बहन की अचानक म्रत्यु हो गई,

इतनी बड़ी बात होने के बावजूद औरंगजेब तुरंत अपने घर आगरा नहीं गए, वे कई हफ्तों बाद घर गए. यह वजह पारिवारिक विवाद का बहुत बड़ा कारण बनी, इस बात से आघात शाहजहाँ ने औरंगजेब को दक्कन के सुबेदारी के पद से हटा दिया, साथ ही उनके सारे राज्य अधिकार छीन लिए गए, उनको दरबार में आने की मनाही थी. शाहजहाँ का गुस्सा शांत होने पर उन्होंने 1645 में औरंगजेब को गुजरात का सूबेदार बना दिया, ये मुग़ल साम्राज्य का सबसे अमीर प्रान्त था. औरंगजेब ने यहाँ अच्छा काम किया, जिसके चलते उन्हें अफगानिस्तान का भी गवर्नर बना दिया गया था.

1653 में औरंगजेब एक बार फिर दक्कन के सूबेदार बने, इन्होंने अकबर द्वारा बनाये गए राजस्व नियम को दक्षिण में भी लागु कर दिया. इस समय औरंगजेब के बड़े भाई दारा शुकोह अपने पिता शाहजहाँ के चहिते थे, वे उनके मुख्य सलाहकार थे. दोनों की सोच बहुत विपरीत थी, जिस वजह से दोनों के बीच बहुत मतभेद होते थे और सत्ता को लेकर लड़ाई होती रहती थी. 1657 में शाहजहाँ बहुत बीमार पड़ गए, जिसके चलते तीनों भाइयों में सत्ता को लेकर जंग छिड गई, तीनों में औरंगजेब सबसे अधिक बलवान थे, उन्होंने अपने पिता शाहजहाँ को बंदी बना लिया व भाइयों को फांसी दे दी. इसके बाद औरंगजेब ने अपना राज्य अभिषेक खुद ही करवाया. इन्ही सब कार्यो के चलते मुग़ल साम्राज्य की थू थू होती थी और प्रजा भी इनसे नफरत करती थी. औरंगजेब ने अपने पिता को भी मारने की कोशिश की थी, लेकिन कुछ वफादारों के चलते वे ऐसा नहीं कर पाए.

मुग़ल सम्राट औरंगजेब का शासन काल

Reign of Mughal Emperor Aurangzeb in Hindi

औरंगजेब के साथ ही उसके भाई दारा शिकोह और शाह शुजा भी मुगल सल्तनत के महान राजगद्दी पर बैठने के लिए हमेशा से ही प्रतीक्षा करते आए थे। एक बार ऐसा समय आया जब शाहजहां बहुत बीमार रहने  लगे। उनकी हालत को देखकर सभी को ऐसा ही लग रहा था, कि यह उनके अंतिम क्षण साबित होने वाले हैं।

औरंगजेब पुरे भारत को मुस्लिम देश बना देना चाहते थे, उन्होंने हिन्दू पर बहुत जुल्म किये व हिन्दू त्योहारों को मनाना पूरी तरह से बंद कर दिया. औरंगजेब ने गैर मुस्लिम समुदाय के लोंगो पर अतिरिक्त कर भी लगाया था, वे काश्मीर के लोगों पर मुस्लिम धर्म मानने के लिए जोर भी डालते थे. जब सिख गुरु तेगबहादुर ने कश्मीरी लोगों के साथ खड़े होकर इस बात का विरोध किया, तो औरंगजेब ने उन्हें फांसी दे दी. औरंगजेब ने बहुत से मंदिर तोड़े व उसकी जगह मस्जिद बनवा दिए. औरंगजेब ने सती प्रथा को एक बार फिर से शुरू करवा दिया था, औरंगजेब के राज्य में मांस खाना, शराब पीना, वेश्यावृत्ति जैसे कार्य बढ़ते गए. हिन्दुओं को मुग़ल साम्राज्य में कोई भी काम नहीं दिया जाता था.

औरंगजेब के बढ़ते अत्याचार को देखते हुए 1660 में मराठा ने औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह कर दिया, इसके बाद 1669 में जाट ने, 1672 में सतनामी, 1675 में सिख व 1679 ने राजपूत ने औरंगजेब के खिलाफ आवाज उठाई. 1686 में अंग्रेजो की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह किया. औरंगजेब ने इनमें से बहुत सी लड़ाई तो जीती, लेकिन जीत हमेशा एक के साथ नहीं रहती, एक के बाद एक लगातार विद्रोह से मुग़ल साम्राज्य हिल गया और उसकी एकता टूटने लगी. औरंगजेब की कड़ी तपस्या भी काम नहीं आई. साम्राज्य से कला, नाच संगीत दूर होते चला गया, ना यहाँ बड़ो की इज्जत होती, ना औरतों का सम्मान किया जाता. पूरा साम्राज्य इस्लाम की रूढ़िवादी बातों के तले दबता चला गया.

औरंगजेब के पुरे शासनकाल में वह हमेशा युद्ध चढाई करने में ही व्यस्त रहा, कट्टर मुस्लिम होने की वजह से हिन्दू राजा इनके बहुत बड़े दुश्मन थे. शिवाजी इनकी दुश्मन की सूची में प्रथम स्थान में थे. औरंगजेब ने शिवाजी को बंदी भी बनाया था, लेकिन वे उनकी कैद से भाग निकले थे. अपनी सेना के साथ मिलकर शिवाजी ने औरंगजेब से युद्ध किया और औरंगजेब को हरा दिया. इस तरह मुगलों का शासन ख़त्म होने लगा और मराठा ने अपना शासन बढ़ा दिया.

औरंगजेब के शासनकाल में उसकी प्रजा उसे कतई पसंद नहीं करती थी। प्रजा पर अत्याचार करके औरंगजेब ने तमाम प्रकार के करों को लागू कर दिया जिसे मुगल बादशाह अकबर ने अपने शासनकाल में बंद करवाया था।

औरंगजेब ने शासनकाल में कई धार्मिक स्थलों का विध्वंस किया था, जिनके केंद्र में मुख्यतः गैर मुसलमान लोग होते थे। तथाकथित औरंगजेब के अधिकारियों में हिंदू, सिख और अन्य गैर मुस्लिम लोगों की भी भागीदारी होती थी। औरंगजेब ने अपने पूरे शासन का आधार कुरान को बनाया था।

यहां तक की औरंगजेब पहला ऐसा मुगल शासक था, जिसने पूरे हिंदुस्तान में शरिया कानून को लागू कर दिया था। इसके अंतर्गत भांग की खेती, गायन वादन, मदिरा सेवन और तमाम प्रकार के कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।

औरंगजेब के शासनकाल में कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया था, जिनमें विश्वनाथ मंदिर, केशव राय मंदिर इत्यादि कई और मंदिर शामिल थे। इसके साथ ही गैर मुसलमानों पर जजिया कर लगाया गया था, जिसे अकबर के समय में बंद किया गया था।

औरंगजेब और बुंदेला का युद्ध

Aurangzeb and Bundela’s War in Hindi

यह उस समय की बात है, जब औरंगजेब ने लगभग पूरे हिंदुस्तान पर कब्जा कर लिया था। औरंगजेब के नाम से हर कोई खौफ खाता था। उसने अपनी तलवार और खौफ के जरिए कई राजाओं को अपने अधीन कर लिया था। औरंगजेब और बुंदेलखंड के शूरवीर राजा छत्रसाल के बीच होने वाला बुंदेला युद्ध बहुत ही प्रसिद्ध है।

औरंगजेब पूरे बुंदेलखंड को बाकी प्रांतों की तरह अपने अधीन कर के वहां के लोगों पर अत्याचार करता था। तमाम मंदिर विध्वंस, मूर्ति खंडन और मारकाट के जरिए लोगों में एक छाप छोड़ दिया था। उस समय किसी की भी हिम्मत मुगल बादशाह औरंगजेब के विरोध के लिए नहीं उठते थी। लेकिन चंपत राय के पुत्र शूरवीर छत्रसाल जो शिवाजी को अपना गुरु मानते थे, उन्होंने बुंदेलखंड को आजाद करवाने का निश्चय कर लिया था।

महाराजा छत्रसाल कभी भी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके और लगातार युद्ध करते रहे। छत्रसाल की वीरता और उत्साह देखकर दिल्ली में बैठे बादशाह औरंगजेब को चिंता सताने लगी थी।

औरंगजेब ने 1699 में अपने सैनिकों को बुंदेलखंड में जाकर मंदिरों को नष्ट करने और लोगों को सबक सिखाने का आदेश दिया, जो कि उस समय ओरछा पर आक्रमण करती थी। इसके पहले भी औरंगजेब ने राजा छत्रसाल के साथ बहुत बार युद्ध किया था, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी।

बुंदेलखंड की प्रजा अब धीरे-धीरे राजा छत्रसाल के साथ आने लगी और खुलकर मुगल सल्तनत का विरोध किया। चंपत राय के कुछ साथी जो बुंदेलखंड के छोटे बड़े जागीरदार और सरदार हुआ करते थे, वह भी बुंदेलखंड के इस युद्ध में शामिल हो गए।

औरंगजेब द्वारा हथियाए गए मऊ को छत्रसाल ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर लूटा और जो भी धन प्राप्त हुआ उसे लोगों में बांट दिया। धीरे धीरे कुछ समय के अंदर ही छोटे बड़े राजा एक साथ मिलकर भूमि विस्तार करते गए। परिणाम स्वरूप मुगल खेडों में एक खलबली सी मच गई।

इस युद्ध के बाद शिवाजी द्वारा नेतृत्व करने वाले मराठों और सिखों ने औरंगजेब के शासनकाल में विद्रोह कर दिया, जिससे मुगलों के हाथ से धीरे-धीरे करके सत्ता निकलने लगी। इस एतिहासिक युद्ध को बुंदेला का युद्ध कहा गया।

सिख गुरु तेगबहादुर सिंह और औरंगजेब का इतिहास

Sikh Guru Tegh Bahadur Singh and Aurangzeb History in Hindi

अत्याचारी और बर्बर शासक औरंगजेब के मन में हिन्दुओं के प्रति इतनी नफरत भरी हुई थी कि, वह सभी सिक्खों और हिन्दुओं को मुस्लिम बना देना चाहता था। वहीं उसके इस कट्टर फरमान को न मानने वाले गैर मुस्लिमों के खिलाफ उसने जबरदस्ती की और जबरन मुस्लिम बना दिया।

वहीं जब उसने यह फरमान कश्मीर में लागू किया और कश्मीरी ब्राह्मणों को जबरन धर्मपरिवर्तन कर इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया। वह सिक्ख समुदाय के नौवें गुरु तेगबहदुर सिंह ने औरंगजेब की क्रूरता के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की, जिसे अत्याचारी औरंगजेब बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सिक्ख गुरु तेगबहादुर सिंह को सूली पर लटका दिया था।

वीर छत्रपति शिवाजी महाराज और औरंगजेब का इतिहास

History of Veer Chhatrapati Shivaji Maharaj and Aurangzeb in Hindi

महाराष्ट्र के वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस कट्टर मुस्लिम शासक औरंगजेब को उसके नापाक मंसूबों में कामयाब होने से रोका साथ ही उसके साथ वीरता के साथ युद्ध कर औरंगजेब के कई सेनापतियों को मार गिराया और औरंगजेब के नापाक हौंसलों का पस्त कर दिया था। वहीं छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस और शक्ति को देखकर अत्याचारी औरंगजेब के मन में भी उनके लिए खौफ बैठ गया था।

कट्टर मुस्लिम शासक के रूप मे औरंगजेब

Aurangzeb as a staunch Muslim ruler in Hindi

औरंगजेब, एक क्रूर और अत्याचारी मुगल शासक होने के साथ-साथ मजहबी तौर पर कट्टर मुस्लिम भी था, जो पूरे भारत को मुस्लिम देश बना देना चाहता था, हांलांकि वो अपने इस इरादे में कभी सफल नहीं हो सका था। वहीं उसने अपने इस नापाक उद्देश्य को पूरा करने के लिए हिन्दुओं के साथ काफी बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया था।

  • औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए कई हिन्दू मंदिरों  को तुड़वा दिए और उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण करवाया।
  • औरंगजेब ने हिन्दू त्योहारों को मनाने में पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। गैर मुस्लिमों को धार्मिक मेलों और धार्मिक यज्ञ एवं अनुष्ठानों में शरीक नहीं होने का फतवा जारी कर दिया था।
  • यही नहीं औरंगजेब ने हिन्दुओं को घोड़े, हाथी आदि की सवारी करने पर भी रोक लगा थी।
  • निर्दयी और क्रूर मुगल सम्राट औरंगजेब ने अपने शासनकाल में ब्रज संस्कृति को खत्म करने की भी कोशिश की थी, यही नहीं उसने श्री कृष्ण की नगरी मथुरा का इस्लामाबाद, वृन्दावन का मेमिनाबाद और गोवर्धन का नाम बदलकर मुहम्मदपुर कर दिया था।
  • औरंगजेब ने नौकरी पेशा हिन्दुओं की रोजी-रोटी छीनकर उन्हें काफी तकलीफ दी थी।
  • अत्याचारी शासक औरंगजेब के शासनकाल में मदिरा का सेवन, वेश्यावृत्ति, महिलाओं और गैर मुस्लिमों पर अत्याचार काफी बढ़ गया था।
  • क्रूर औरंगजेब ने अपने शासनकाल में सरकारी नौकरी कर रहे सभी हिन्दू कर्मचारियों को बर्खास्त कर उनकी जगह पर मुस्लिम कर्मचारियों की भर्ती का फरमान जारी किया था।
  • इसके अलावा सबसे घमंडी और क्रूर मुगल बादशाह औरंगजेब ने हिन्दुओं पर अतिरिक्त जजिया कर लगाया था। और मुस्लिमों को करों में छूट दी थी, वहीं अगर जो भी गरीब हिन्दू इस कर को चुकाने में असमर्थ होता था, तो उसे मजबूरन मुस्लिम धर्म को अपनाना पड़ता था।

औरंगजेब की मृत्यु

Aurangzeb’s death in Hindi

औरंगजेब के जीवन के अंतिम क्षणों में मराठों द्वारा होने वाला विद्रोह बहुत बड़ा रूप ले चुका था। विद्रोह को दबाने के लिए किए गए सभी प्रयास एकाएक विफल हो रहे थे।

90 साल की उम्र में औरंगजेब ने 3 मार्च 1707 में अपने प्राण त्याग दिए, दौलताबाद में फकीर बुरहानुद्दीन की कब्र के अहाते में जोकि दौलताबाद में स्थित है वहां औरंगजेब को दफन कर दिया गया। 50 साल के शासन में औरंगजेब ने अपने इतने सारे दुश्मन बना लिए थे, जिसके वजह से उसे कभी भी जीते जी शांति नहीं मिलती थी। और उसके मरते ही मुग़ल सामराज्य का अंत हो गया. उनके पूर्वज बाबर मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक माने जाते है व औरंगजेब इस साम्राज्य के अंत का कारण बने. औरंगजेब ने ही दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद बनवाई थी.

उसकी मृत्यु के बाद इतिहास में कभी भी इतना सक्षम और बुद्धिमान मुगल बादशाह सल्तनत की गद्दी पर नहीं बैठा। यहां तक कि औरंगजेब के शासनकाल को मुगल सल्तनत का आखरी शासन भी कहा गया है।

औरंगजेब ने अपनी मृत्यु के पहले कई किताबी लिखे, जिनमें उन्होंने अपनी ख्वाहिशों को लिखा। मुगल बादशाह औरंगजेब ने यह लिखा था, कि उनकी कब्र को साधारण बनाया जाए। वर्तमान समय में औरंगजेब की कब्र औरंगाबाद जो कि उनके नाम पर ही पड़ा था वहां की खुल्दाबाद जिले में स्थित है।

तो आपको यह पोस्ट औरंगजेब का इतिहास (History of Aurangzeb in Hindi) औरंगजेब का प्रारंभिक जीवन, उनके पारिवारिक विवाद, शासनकाल और बुंदेला के युद्ध के बारे के साथ साथ (Aurangzeb History Biography Jeevan Parichay In Hindi Date Of Birth, Birth Place, Father, Mother, Children, Fight, Mughal King, Empire, Controversy) कैसा लगा कमेंट मे जरूर बताए और इस पोस्ट को लोगो के साथ शेयर भी जरूर करे..

शेयर करे

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *