आज के इस पोस्ट मे ताजमहल की इतिहास निर्माण रहस्य विवाद और रोचक तथ्य History of Taj Mahal Controversy and Interesting Facts in Hindi के बारे मे जानेगे।
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ताजमहल अपनी बेमिसाल खूबसूरती और भव्यता की वजह से दुनिया के सात अजूबों में से एक है। ताजमहल को मोहब्बत की मिसाल माना जाता है। यह मुगल शासक शाहजहां और उनकी सबसे चहेती बेगम मुमताज महल के अटूट प्रेम की याद दिलवाता है
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ताजमहल को “मुमताज़ का मकबरा” भी कहते हैं. मुमताज़ महल की मृत्यु के बाद शाहजहाँ बहुत गमगीन हो गए. तब उन्होने अपने प्रेम को जिंदा रखने के लिए अपनी पत्नी की याद में ताजमहल बनवाने का निर्णय लिया
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इस अति उत्तम कृति के बारे में ऐसा माना जाता है कि शाहजहाँ ने इसका निर्माण करवाने के बाद अपने सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिये,
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ताकि कोई और दूसरा इस ताजमहल जैसी कोई इमारत नहीं बना पाये. मध्यकालीन भारत में निर्मित वास्तुकला के नायाब नमूनों में एक ताजमहल सबसे अनूठा है।
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मोहब्बत की निशानी समझी जाने वाली यह इमारत पूरी दुनियां में अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है,
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जिसका देश विदेश के तकरीबन 70 से 80 लाख सैलानी प्रतिवर्ष दीदार करने आते हैं। ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में यमुना नदी के तट पर मौजूद है,
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– दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक ताजमहल जाने वाले मुख्य मार्ग के बीच जो फव्वारे लगाए गए हैं, वे किसी पाइप से नहीं जुड़े हैं, बल्कि हर फव्वारे के नीचे एक तांबे का टैंक है, यह सभी टैंक एक ही समय पर भरते हैं, और प्रेशर पड़ने पर इसमें पानी भी छोड़ते हैं।
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इलाहाबाद कोर्ट में ताजमहल के बंद कमरों को खोलने की याचिका दायर की गई है। जिसमें ये कहा गया है कि, इसके 22 कमरे खुलवाये जाए और उनकी सही तरीके से जांच की जाए। दायर याचिका में इस बात का दावा किया गया है कि, इसमें हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां हैं।
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वास्तुकला में भारत की समृद्धि को प्रदर्शित करती यह खूबसूरत इमारत वर्ष 1983 से यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2007 में इसे विश्व के सात नए अजूबों की श्रेणी में भी पहला स्थान दिया गया है।
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कहते है की मुमताज महल के शव को उस समय शाहजहां के चाचा दानियाल द्वारा तापी नदी के तट पर जैनाबाद गार्डन में दफनाया गया था।
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मुमताज की मृत्यु का शाहजहा को काफी दुख हुआ। वह एकांत में रहने लगे। शाहजहां बुरहानपुर के पीछे ही अपने सैन्य दल के साथ रहने लगे और वही रहते हुए उन्होने मुमताज महल कि याद में एक मकबरा बनाने की योजना बनाई।
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फिर दिसंबर 1631 को मुमताज महल के शव को जैनाबाद की कब्र से निकाल कर एक सोने से बने ताबूत में रखकर यमुना नदी के तट पर एक छोटे से घर में रखा गया। जब मकबरा तैयार हो गया तो उसमे मुमताज महल के शव को दफनाया गया।
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और इसका नाम मुमताज महल रखा गया जो आगे चलकर ताजमहल के नाम से पुरी दुनिया में जाना जाने लगा। जो आज भी अपनी मुहब्बत की निशानी, सुंदरता और स्थापत्य कला का लौहा सारी दुनिया से मनवा रहा है,
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वैसे तो ताजमहल के निर्माण का कार्य तो 1631 में शुरू हुआ था। परंतु इसके इतिहास की शुरूआत माना जाए तो मुगलवंश के पांचवे शासक शाहजहां से शुरू होती है।
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