आज के इस पोस्ट मे माइकोप्लाज्मा क्या होता है परिभाषा प्रकार लक्षण | What is Mycoplasma in Hindi, Types of Mycoplasma In Hindi के बारे मे जानेगे।
माइकोप्लाज्मा क्या होता है
What is Mycoplasma in Hindi
माइकोप्लाज्मा सूक्ष्मतम, एक कोशिकीय, बहुरूपी, प्रोकैरियोटिक जीव हैं। इन्हें “पादप जगत का जोकर’ कहा जाता है। माइकोप्लाज्मा को विभिन्न तापमान, दाब पर उत्पन्न किया जा सकता है और यह ‘तापीय‘ या ‘अतापीय‘ प्लाज्मा हो सकता है। ये ऐसे जीवधारी होते है जिनमे कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती है | माइकोप्लाज्मा सबसे सूक्ष्म सजीव होते हैं।
माइकोप्लाज्मा की खोज नोकॉर्ड एवं रॉक्स 1898 ने की थी और इन्हें PPLO (Pleuro-Pneumonia Like Organism) कहा। माइकोप्लाज्मा अभी तक खोजी गई सबसे छोटी जीवाणु कोशिकाएं हैं ऑक्सीजन के बिना माइकोप्लाज्मा जीवित रह सकते हैं, और कई आकारों में पाए जाते है । उदाहरण के लिए, एम. जेनिटेलियम (M. Genitalium) फ्लास्क के आकार का (लगभग 300 x 600 nm) है, जबकि एम. न्यूमोनिया (M. Pneumoniae) अधिक लम्बा (लगभग 100 x 1000 nm) है। सैकड़ों माइकोप्लाज्मा की प्रजातियां जानवरों को संक्रमित करती हैं।
इनमें कोशिका भित्ति का अभाव होता है। इसलिए कोशिका भित्ति पर क्रिया करने वाली प्रतिजैविकों, जैसे पेनिसिलिन का कोई प्रभाव नहीं होता। और प्लाज्मा झिल्ली कोशिका की बाहरी सीमा बनाती है। कोशिका भित्ति की अनुपस्थिति के कारण ये जीव अपना आकार बदल सकते हैं
माइकोप्लाज्मा को संक्षेप मे इस प्रकार से समझ सकते है –
- सन् 1898 में फ्रांस के वैज्ञानिक ई नोकार्ड तथा ई रॉक्स ने प्लुरोनिमोनिया से पीड़ित पशु के पाश्र्व तरल में इन जीवों की खोज की। और इन सूक्ष्म जीवों को प्लूरो निमोनिया लाइक आर्गेनिस्म कहा जाता है।
- सन् 1962 में एच मॉरोविट् एवं एम टोरटोलॉट ने मुर्गियों का श्वसन रोग माइकोप्लाज्मा जनित बताया था।
माइकोप्लाज्मा का वर्गीकरण
Classification of Mycoplasma in Hindi
- सन् 1966 में अंतरराष्ट्रीय जीवाणु नामकरण समिति ने माइकोप्लाज्मा को जीवाणुओं से अलग करके वर्ग- मॉलीक्यूट्स में रखा है।
- वर्ग- मॉलीक्यूट्स
- गण- माइकोप्लाज्माटेल्स
- वंश- माइकोप्लाज्मा
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माइकोप्लाज्मा के प्रकार
Types of Mycoplasma In Hindi
तो चलिये माइकोप्लाज्मा कितने प्रकार (Types of Mycoplasma In Hindi) के होते है, जानते है-
प्रॉटिस्टा (Protista)
- इसमें एक कोशिकीय यूकेरियोटिक सजीवों को रखा गया है।
- इसमें प्रकाश व अप्रकाश संश्लेषी दोनों प्रकार के सजीवों को रखा गया है।
- 3. इनमे सुसंगठित केन्द्रक व झिल्ली युक्त कोशिकांग होते है।
- इनमें कोशिका भित्ति उपस्थित अथवा अनुपस्थित होती है।
- इनमे पोषण स्वपोषी या परपोषी प्रकार का होता है।
- इनमें चलन पक्ष्माम या कशायिका द्वारा होता है, ये अलैंगिक कोशिका संलयन तथा अलैंगिक जनन द्वारा प्रजनन करते है।
- प्रोटिस्टा में क्राइसोफाइट, डाइनोप्लैजिलेट, यूग्लीनाइड, अवपंक कवक व प्रोट्रोजोआ को शामिल किया गया है।
क्राइसोफाइट (Chrysophyte)
ये जीव स्वच्छ जल व लवणीय पर्यावरण दोनों में पाये जाते है , इस समूह में डायएटम तथा सुनहरे शैवाल आते है। डायएटम में दोहरी सिलिकामय भित्ति पायी जाती है जिससे की ये नष्ट नहीं होते है तथा मृत डायएटम बड़ी संख्या में भित्ति अवशेष छोड़ते है , जो डायएटमी मृदा में बदल जाती है , कणमय होने के कारण इस मृदा का उपयोग पॉलिस करने तथा तेलों व सिरप के निस्पंदन में उपयोग किया जाता है।
डाइनो प्लैजिलेट (Dino Plagilet)
ये मुख्यत समुद्री व प्रकाश संश्लेषी होते है , इनमें पीले , हरे , भूरे , नीले अथवा लाल वर्णक दिखाई देते है , इनकी कोशिका भित्ति सेलुलोस की बनी होती है। इनमें दो कशाय पाये जाते है , जिनमें एक लम्बवत व दूसरा अनुप्रस्थ रूप से खांच में स्थित होते है , लाल डाइनोप्लैजिलेट में विस्फोटस से समुद्र का रंग लाल दिखाई देता है जिससे निकले विष से बड़ी संख्या में मछली एवं अन्य समुद्री जीव मर जाते है।
उदाहरण : गोनियोलैक्स
युग्लिनॉइड (Euglinoid)
स्वच्छ व स्थिर जल में पाये जाते है इनमें कोशिका भित्ति के स्थान पर प्रोटीन युक्त पेलिकल होती है , जो इनकी संरचना को लचीला बनाती है , इनमें एक छोटा व एक बड़ा दो कशाय होते है। इनमें कुछ पादपों की तरह हरितलवक होते है अत: ये प्रकाश संश्लेषन कर सकते है। उदाहरण : युग्लिना
अवपंक कवक (Slime Fungus)
ये मृतपोषी प्रोटिस्टा होते है , ये सड़ी , गली पत्तियों , टहनियों से अपना भोजन प्राप्त करते है , ये अनुकूल समय में समूह व प्रतिकूल समय में बीजाणु बनाते है।
प्रोटोजोआ (Protozoa)
ये जीव परपोषी होते है जो प्रॉटिस्टा में रखे रहते है।
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माइकोप्लाज्मा के लक्षण
Symptoms of Mycoplasma in Hindi
- ये सूक्ष्मतम एक प्रोकैरियोटिक जीव है। जो स्वतंत्र रूप से वृद्धि और प्रजनन करते हैं।
- यह बहुरूपी होते हैं अतः इन्हें पादप जगत का जोकर भी कहा जाता है।
- इनमें कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है तथा केवल जीवद्रव्य कला उपस्थित होती हैं। जोकि 3 स्तरीय होती हैं।
- इन्हें वृद्धि के लिए स्टेरॉल की आवश्यकता होती है।
- ये कोशिका भित्ति पर क्रिया करने वाले प्रतिजैविक जैसे पेनिसिलिन से प्रभावित नहीं होते हैं। परंतु उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करने वाले प्रतिजैविक जैसे:- टेट्रासाइक्लीन माइकोप्लाजमा की वृद्धि को रोक देते हैं।
- इनका आकार 100 से 500 nm तक होता है। इसलिए इन्हें जीवाणु फिल्टर से नहीं छाना जा सकता है।
- इनके कोशिकाद्रव्य में राइबोसोम पाए जाते हैं।
- यह दोनों प्रकार के न्यूक्लिक अम्ल DNA तथा RNA मे पाए जाते हैं।
- ये किसी जीवित जंतु या पेड़ पौधों पर आश्रित रहते हैं। तथा उनमे कई तरह की बीमारियां उत्पन्न करते हैं। कई बार ऐसे जीव मृत कार्बनिक पदार्थों पर मृतोपजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं। यह परजीवी अथवा मृतोपजीवी दोनों प्रकार के हो सकते हैं।
- ये किसी जीवित जंतु या पेड़ पौधों पर आश्रित रहते हैं। तथा उनमे कई तरह की बीमारियां उत्पन्न करते हैं। कई बार ऐसे जीव मृत कार्बनिक पदार्थों पर मृतोपजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं। यह परजीवी अथवा मृतोपजीवी दोनों प्रकार के हो सकते हैं।
- माइकोप्लाज्मा प्रजातियां अक्सर research laboratories में कोशिका संवर्धन (cell culture) में contaminants के रूप में पाई जाती हैं।
- कुछ माइकोप्लाज्मा का प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है l जन्म के समय कम वजन होना या समय से पहले जन्मे शिशु, माइकोप्लाज्मा संक्रमण के लिए, अतिसंवेदनशील होते हैं l
- इनमें राइबोसोम उपस्थित होता है जो जीवाणु जैसा 70S प्रकार का होता है.
- इनकी कोशिका पेनिसिलिन प्रतिजैविक (penicillin antibiotic) से प्रभावित नहीं होती है।
- इनकी कोशिका टेट्रासाइक्लीन प्रतिजैविक से प्रभावित होती है। ये ग्रैम-अग्राही (G) होते हैं।
माइकोप्लाज्मा जनित पादप रोग और उनको पहचानने के लक्षण
Plant diseases caused by mycoplasma and their symptoms in Hindi
माइकोप्लाज्मा पौधों में लगभग 40 रोग उत्पन्न करते हैं। जो निम्न लक्षणों द्वारा पहचाने जा सकते हैं।
- पत्तियां पीली पड़ जाती हैं अथवा एंथोसाइएनिन वर्णक के कारण लाल रंग की हो जाती हैं।
- पत्तियों का आकार छोटा हो जाता है।
- पुष्प पत्तियाँ आकार में बदल जाते हैं।
- पर्व छोटी पड़ जाती है।
- पत्तियाँ भुरभुरी हो जाती है।
माइकोप्लाज्मा जनित प्रमुख पादप रोग से प्रभावित होने वाले पौधे
Plants affected by major plant diseases caused by Mycoplasma in Hindi
- चंदन का स्पाइक रोग
- आलू का कुर्चीसम रोग
- कपास का हरीतिमागम
- बैंगन का लघु पर्ण रोग
- गन्ने का धारिया रोग
- ऐस्टर येलो आदि
माइकोप्लाजमा जनित मानव रोग
Human Disease Caused By Mycoplasma In Hindi
- अप्रारूपिक निमोनिया- माइकोप्लाज्मा न्यूमोनी के कारण होता है।
माइकोप्लाज्मा जनित जंतु रोग
Mycoplasma Borne Disease In Hindi
- भेड़ और बकरियों का एगैलेक्टिया- माइकोप्लाज्मा एगैलेक्टी के कारण होता है।
माइकोप्लाज्मा द्वारा उत्पन्न रोग का उपचार
Treatment of disease caused by mycoplasma in Hindi
माइकोप्लाज्मा द्वारा उत्पन्न रोग का उपचार टेट्रोसाइक्लिन औषधि द्वारा किया जाता है।
तो आपको यह पोस्ट माइकोप्लाज्मा क्या होता है परिभाषा प्रकार लक्षण (What is Mycoplasma in Hindi, Types of Mycoplasma In Hindi Classification of Mycoplasma) कैसा लगा कमेंट मे जरूर बताए और इस पोस्ट को लोगो के साथ शेयर भी जरूर करे..
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