HomeHistoryबाबर का इतिहास जीवन परिचय शुरूवाती जीवन प्रमुख युद्ध और शासनकाल |...

बाबर का इतिहास जीवन परिचय शुरूवाती जीवन प्रमुख युद्ध और शासनकाल | History of Babar in Hindi

आज के इस पोस्ट मे बाबर का इतिहास History of Babar in Hindi के बारे मे जानेगे। वैसे तो हिंदुस्तान में सालो तक राज करने वाले बाबर का प्रारंभिक जीवन, प्रमुख युद्ध, शासनकाल और इतिहास Babar History Biography Jeevan Parichay In Hindi Date Of Birth, Birth Place, Father, Mother, Children, Fight, First Mughal King, Empire जानेगे.

बाबर का इतिहास जीवन परिचय प्रारंभिक जीवन शासनकाल

History of Babar in Hindi

History of Babar in Hindiमुगल शासकों ने लगभग 300 सालों तक भारत में अपनी हुकूमत चलाई इस दौरान मुगल साम्राज्य के कई महान और परमवीर योद्धा भी आए जिनका वर्णन भारतीय इतिहास में देखने को मिलता है लेकिन मुगल वंश के संस्थाप्क बाबर को माना जाता है, जो की Babar, न सिर्फ एक महान योद्धा था, बल्कि सबसे महान शासक Mughal Emperor भी था, जिसने मुगल राजवंश की नींव रखी थी।

बाबर का इतिहास

History of Babar in Hindi

तो चलिये अब इस पोस्ट मे बाबर जीवन परिचय व इतिहास, जन्म तारीख, जन्म स्थान, पिता का नाम, माता का नाम, बच्चे, पत्नी, शासन, युद्ध, मुगल बादशाह, विवाद, किसने मारा था के बारे मे विस्तार से जानते है,

मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक उसकी नीव रखने वाले बाबर ने भारत में कई सालों तक शासन किया| मुगलों ने भारत में लगभग 300 सालों तक राज्य किया| अपने पिता की अचानक मृत्यु के बाद बाबर ने मात्र 12 साल की उम्र में पिता के काम संभाला, उसने तुर्किस्तान के फरगना प्रदेश को जीत कर उसका शासक बन गया, बचपन से ही बाबर बहुत महत्वाकांक्षी था, वे अपने लक्ष्य को हमेशा ध्यान में रखते था, बाबर अपने आप को चंगेज खान के परिवार का बताते था, चंगेज खान उनकी माता के साइड के वंशज था, तैमुर के राजा चुगताई तुर्क उनके पिता के वंशज थे, बाबर के खून में दो महान शासकों का खून था यही वजह है कि बाबर एक महान योध्या था, कम उम्र से ही बाबर जंग के मैदान में उतर आया था, फिर उसने शुरूआती दिनों में बहुत युध्य, लडाइयां, हार जीत, संधि-विचेद देखा था|

बाबर का जीवन परिचय

Babar biography in Hindi

बाबर भारत के पहले मुगल सम्राट था, जिसका पूरा नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर था। मुगल साम्राज्य के सम्राट बाबर फरगाना घाटी के शासक उमर शेख मिर्जा के सबसे बड़े बेटे थे। पिता की मौत के बाद महज 11 साल की उम्र में ही राज्य की जिम्मेदारी सौंप दी गई उन्हें कम उम्र में ही सिंहासन पर बिठा दिया गया इसकी वजह से उन्हें अपने रिश्तेदारों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। तो आइए बाबर का जीवन परिचय (Babar biography in Hindi) को जानते है :-

पूरा नाम (Name) – जहीर-उद-दीन मुहम्मद बाबर (Babur)

जन्म तारीख (Birthday) – 14 फरवरी 1483 (अन्दिझान, उज्बेकिस्तान)

माता (Mother Name) – कुतलुग निगार ख़ानुम

पिता (Father Name) – उमर शेख मिर्जा 2, फरगाना के शेख

पत्नियाँ (Wife Name) –

आयेशा सुलतान बेगम, जैनाब सुलतान बेगम, मौसमा सुलतान बेगम, महम बेगम, गुलरुख बेगम, दिलदार बेगम, मुबारका युरुफझाई, गुलनार अघाचा

पुत्र/पुत्रियां (Children Name)  –

हुमायूं, कामरान मिर्जा, अस्करी मिर्जा, हिंदल मिर्जा, फख्र -उन-निस्सा, गुलरंग बेगम, गुलबदन बेगम, गुलचेहरा बेगम, अल्तून बिषिक, कथित बेटा

भाई (Brother Name) – चंगेज़ खान

मृत्यु (Death) – 26 दिसम्बर 1530 (आगरा, मुगल साम्राज्य)

बाबर का शुरूवाती जीवन

Babur’s early life in Hindi

मुगल सम्राट बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को आन्दीझान शहर के फरगना घाटी में जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर के रुप में हुआ था। बाबर के पिता का नाम उमरेशख मिर्जा था जो फरगना की जागीर का मालिक था और उसकी मां का नाम कुतुलनिगार खां था।

बाबर अपनी पिता की तरफ से तैमूर के वंशज और अपनी मां की तरफ से चंगेज खान के वंशज थे। इस तरह जीत हासिल करना और कुशल प्रशासन बाबर के खून में ही था।

मुगल बादशाह बाबर मंगोल मूल के बरला जनजाति से आए थे, लेकिन जनजाति के अलग-अलग सदस्य भाषा, रीति-रिवाज और लंब समय से तुर्की क्षेत्रों में रहने की वजह से खुद को तुर्की मानते थे। इसलिए मुगल सम्राट ने तुर्कों से बहुत समर्थन हासिल किया और जिस साम्राज्य की उन्होनें स्थापना की थी वह तुर्की थी।

आपक बता दें कि बाबर का परिवार चगताई कबीले के सदस्य बन गया था उन्हें इस नाम से ही पुकारा जाता था। वो पितृ पक्ष की ओर से तैमूर के पांचवे वंशज और मातृ पक्ष की तरफ से चंगेज खां के 13वें वंशज थे।

बाबर ने जिस नए साम्राज्य की स्थापना की। वह तुर्की नस्ल का “चगताई वंश” का था। जिसका नाम चंगेज खां के दूसरे बेटे के नाम पर पड़ा था। बाबर की मातृ भाषा चगताई थी जिसमें वे निपुण थे बाबर ने बाबरनामा के नाम से चगताई भाषा में अपनी जीवनी भी लिखी थी लेकिन फारसी उस समय की आम बोलचाल की भाषा थी।

बाबर के पिता, उमर शेख मिर्जा ने फरगाना की घाटी पर शासन किया था। क्योंकि उस समय तुर्कों के बीच उत्तराधिकार का कोई निश्चत कानून नहीं था।

बाबर पर अपने परिवार की ज़िम्मेदारी बहुत कम उम्र में ही आ गई थी| अपने पैतृक स्थान फरगना को वे जीत तो गए थे, लेकिन ज्यादा दिन तक वहां राज नहीं कर पाए, वे इसे कुछ ही दिनों में हार गए| जिसके बाद उसे बहुत कठिन समय देखना पड़ा, और उन्होंने बहुत मुश्किल से जीवन यापन किया| लेकिन इस मुश्किल समय में भी वे उनके कुछ वफादारों ने उनका साथ नहीं छोड़ा| कुछ सालों बाद जब उसके दुश्मन एक दुसरे से दुश्मनी निभा रहे थे, तब इस बात का फायदा बाबर ने उठाया और वे 1502 में अफगानिस्तान के काबुल को जीत लिए| जिसके बाद उन्हें ‘पादशाह’ की उपाधि धारण मिल गई। पादशाह से पहले बाबर ”मिर्जा” की पैतृक उपाधि धारण करता था।

इसके साथ ही उन्होंने अपना पैतृक स्थान फरगना व समरकंद को भी जीत लिया| बाबर की 11 बेगम थी, जिससे उसको 20 बच्चे हुए थे| बाबर का पहला बेटा हुमायूँ था, जिसे उसने अपना उत्तराधिकारी बनाया था|

मुगल बादशाह बाबर ने 11 शादियां की थी उनकी 11 बेगम थी जिनके नाम आयेशा सुल्तन बेगम, जैनाब सुल्तान बेगम, मौसमा सुल्तान बेगम, महम बेगम, गुलरुख बेगम, दिलदार बेगम, मुबारका युरुफझाई और गुलनार अघाचा था।

अपनी बेगमों से बाबर के 20 बच्चे थे। बाबर ने अपने पहले बेटे हुमायूं को अपना उत्तरराधिकारी बनाया था।

बाबर को आया भारत आने का न्योता

Babur got an invitation to come to India in Hindi

मुगल सम्राट बाबर मध्य एशिया में अपना कब्जा जमाना चाहता था लेकिन बाबर मध्य एशिया में शासन करने में असफल रहा लेकिन फिर भी मुगल बादशाह के मजबूत इरादों ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दी, उनके विचार हमेशा उनको आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे यही वजह है कि मुगल बादशाह की नजर भारत पर गई तब भारत की राजनीतिक दशा भी बिगड़ी हुई थी जिसका मुगल सम्राट ने फायदा उठाया और भारत में अपना साम्राज्य फैलाने का फैसला लिया।

मध्य एशिया में जब बाबर अपना सामराज्य नहीं फैला पाया, तब उसकी नजर भारत पर हुई| उस समय भारत की राजनीतीक स्थिति बाबर को अपना साम्राज्य फ़ैलाने के लिए उचित लग रही थी| उस समय दिल्ली के सुल्तान बहुत सी लड़ाईयां हार रहे थे, जिस वजह से विघटन की स्थिति उत्पन्न हो गई थी| भारत के उत्तरी क्षेत्र में कुछ प्रदेश अफगान और राजपूत के अंदर थे, लेकिन इन्ही के आस पास के क्षेत्र स्वत्रंत थे, जो अफगानी व राजपूतों के क्षेत्र में नहीं आते थे| इब्राहीम लोदी जो दिल्ली का सुल्तान था, एक सक्षम शासक नहीं था| पंजाब के गवर्नर दौलत खान इब्राहीम लोदी के काम से बहुत असंतुष्ट था| इब्राहीम के एक अंकल आलम खान जो दिल्ली की सलतनत के लिए एक मुख्य दावेदार थे, बाबर को जानते थे| तब आलम खान और दौलत खान ने बाबर को भारत आने का न्योता भेजा| बाबर को ये न्योता बहुत पसंद आया, उसे ये अपने फायदे की बात लगी और वो अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए दिल्ली चला गया|

उस समय दिल्ली के सुल्तान कई लड़ाईयां लड़ रहे थे जिस वजह से भारत में राजनैतिक बिखराव हो गया। आपको बता दें कि उस समय भारत के उत्तरी क्षेत्र में कुछ प्रदेश अफगान और कुछ राजपूत के अंदर थे, लेकिन इन्हीं के आस-पास के क्षेत्र स्वतंत्र थे, जो अफगानी और राजपूतों के क्षेत्र में नहीं आते थे।

उस समय जब बाबर ने दिल्ली पर हमला किया था तब बंगाल, मालवा, गुजरात, सिंध, कश्मीर, मेवाड़, दिल्ली खानदेश, विजयनगर एवं विच्चिन बहमनी रियासतें आदि अनेक स्वतंत्र राज्य थे।

आपको बता दें कि बाबर ने अपनी किताब बाबरनामा में भी पांच मुस्लिम शासक और दो हिन्दू शासकों का जिक्र किया है। सभी मुस्लिम शासक दिल्ली, मालवा, गुजरात और बहमनी से थे जबकि मेवाड़ और विजयनगर से दो हिन्दू शासक थे।

इसके साथ ही मुगल बादशाह बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में विजयनगर के तत्कालीन शासक कृष्णदेव राय को समकालीन भारत का सबसे ज्यादा बुद्धिमान और शक्तिशाली सम्राट कहा है।

जब मुगल बादशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया था तब दिल्ली का सुल्तान इब्राहिम लोदी था लेकिन वो दिल्ली की सल्लतनत पर शासन करने में सक्षम नहीं था यहां तक की पंजाब के सूबेदार दौलत खान को भी इब्राहिम लोदी का काम रास नहीं रहा था उस समय इब्राहिम के चाचा आलम खान दिल्ली की सलतनत के लिए एक मुख्य दावेदार थे और वे बाबर की बहादुरी और उसके कुशल शासन की दक्षता से बेहद प्रभावित थे इसलिए दौलत खां लोदी और इब्राहिम के चाचा आलम खा लोदी ने मुगल सम्राट बाबर को भारत आने का न्योता भेजा था।

वहीं ये न्योता बाबर ने खुशी से स्वीकार किया क्योंकि बाबर की दिल्ली की सल्तनत पर पहले से ही नजर थी और उसने इस न्योते को अपना फायदा समझा और मुगल साम्राज्य का विस्तार भारत में करने के लिए दिल्ली चला गया।

आपको बता दें बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण 1519 ईं में बाजौर पर किया था और उसी आक्रमण में ही उसने भेरा के किले को भी जीता था। बाबरनामा में मुगल बादशाह बाबर ने भेरा के किले की जीत का उल्लेख किया है वहीं इस लड़ाई में बहादुर शासक बाबर ने सबसे पहले बारूद और तोपखाने का भी इस्तेमाल किया था।

मुगल बादशाह बाबर पानीपत की लड़ाई में विजय हासिल करने से पहले भारत पर 4 बार आक्रमण कर चुका था और पानीपत की लड़ाई उसकी भारत में पांचवीं लड़ाई थी जिसमें उसने जीत हासिल की थी। और अपने साम्राज्य को आगे बढ़ाया था।

पानीपत की लड़ाई और बाबर की जीत

Battle of Panipat and victory of Babur in Hindi

पानीपत की पहली लड़ाई बाबर की सबसे बड़ी लड़ाई थी। यह लड़ाई अप्रैल 1526 में शुरू की गई थी जब बाबर की सेना ने उत्तर भारत में लोदी साम्राज्य पर हमला किया था।

आपको बता दें कि इस लड़ाई के लिए इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खान और पंजाब के सूबेदार ने बाबर को पानीपत की लड़ाई के लिए न्योता भेजा था। वहीं कुशल शासक बाबर ने इस लड़ाई में लड़ने से 4 बार पहले पूरी इसकी जांच की थी।

वहीं इस दौरान जो लोग अफगानिस्तान के लोगों ने भी बाबर को अफगान में आक्रमण करने का भी न्योता दिया था। यही नहीं मेवाड़ के राजा राना संग्राम सिंह ने भी बाबर इब्राहिम लोदी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए लिए कहा क्योंकि इब्राहिम लोदी से राणा सिंह ही पुरानी रंजिश थी और वे अपनी इस रंजिश का बदला लेना चाहते थे।

जिसके बाद बाबर ने पानीपत की लड़ाई लड़ने का फैसला लिया। यह मुगल बादशाह द्धारा लड़ी सबसे पुरानी लड़ाई थी जिसमें गनपाउडर आग्नेयास्त्रों और तोपखाने का इस्तेमाल किया गया था। इस युद्ध में इब्राहिम लोदी ने खुद को हारता देख खुद को मार डाला।

जिसके बाद बाबर ने मुगल साम्राज्य का भारत में विस्तार करने की ठानी। पानीपत की लड़ाई में जीत मुगल सम्राट की पहली जीत थी। इस जीत से उन्होनें भारत में मुगल साम्राज्य की शक्ति का प्रदर्शन किया था। और ये मुगलों की भी भारतीय इतिहास में सबसे बड़ी जीत भी थी।

राणा सांगा के खिलाफ लड़ी खानवा की लड़ाई और बाबर की हार

Battle of Khanwa fought against Rana Sanga and defeat of Babur in Hindi

खानवा की लड़ाई भी मुगल सम्राट बाबर द्धारा लड़ी गई लड़ाईयों में से प्रमुख लड़ाई थी। बाबर ने खानवा के गांव के पास यह लड़ाई लड़ी थी।

आपको बता दें कि पानीपत के युद्ध में जीत के बाद भी बाबर की भारत में मजबूत स्थिति नहीं थी दरअसल जिस राजपूत शासक राणा शासक ने बाबर को लोदी के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए भारत आने के लिए न्योता दिया अब उन्हें ही बाबर की पानीपत में जीत और उसके भारत में रहने का फैसला खटकने लगा था।

राणा सांगा मुगल सम्राट बाबर को विदेशी मानते थे और चाहते थे कि बाबर काबुल वापस चला जाए। इसी वजह से राणा सांगा ने बाबर के भारत में शासन का विरोध किया और बाबर को भारत से बाहर निकालने के साथ दिल्ली और आगरा को जोड़कर अपने क्षेत्र का विस्तार करने का फैसला किया।

हालांकि बाबर ने भी राणा सिंह को खुली चुनौती दी और राणा संग्राम सिंह की इस योजना को बुरी तरह फेल कर दिया और बाबर की सेना ने राणा सांगा की सेना को कुचल दिया। आपको बता दें कि खनवा की लड़ाई में राणा संग्राम सिंह के साथ कुछ अफगानी शासक भी जुड़ गए थे।

लेकिन अफगानी चीफ को भी हार का सामना करना पड़ा था। खनवा की लड़ाई 17 मार्च 1527 में लड़ी गई इस लड़ाई में बाबर की सेना ने युद्द में इस्तेमाल होने वाले नए उपकरणों का इस्तेमाल किया गया जबकि राजपूतों ने हमेशा की तरह अपनी लड़ाई लड़ी और वे इस लड़ाई में बाबर से बुरी तरह हार गया,

अफगानी शासकों के खिलाफ घागरा की लड़ाई

Battle of Ghagra against Afghan rulers in Hindi

राजपूत शासक राणा संग्राम सिंह को हराकर बाबर ने जीत तो हासिल कर ली लेकिन इसके बाबजूद भी भारत में मुगल शासक बाबर की स्थिति इतनी मजबूत नहीं हुई थी दरअसल उस समय बिहार और बंगाल में कुछ अफगानी शासक शासन कर रहे थे जिन्हें बाबर का भारत में राज करना रास नहीं आ रहा था जिसके बाद बाबर को अफगानी शासकों के विरोध का सामना करना पड़ा था। मई 1529 में बाबर ने घागरा में सभी अफगानी शासकों को हराकर जीत हासिल की।

बाबर कम उम्र से ही अपने जीवन में इतनी लड़ाइयां लड़ चुका था कि अब तक वो एक मजबूत शासक बन गया था और उसके पास एक बड़ी सेना भी तैयार हो गई थी अब बाबर को चुनौती देने से कोई भी शासक डरने लगा था।

इस तरह से भारत में तेजी से मुगल साम्राज्य का विस्तार किया और भारत में जमकर लूट-पाट की। इतिहास के पन्नों पर बाबर की वीरता के साथ उसके क्रूरता के भी कई उदाहरण हैं दरअसल बाबर अपने फायदे के लिए नरसंहार करने से भी नहीं हिचकिचाता था।

बाबर पूजा-पाठ में यकीन नहीं करता था उसने अपने शासनकाल में भारत में कभी किसी हिन्दू को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए नहीं कहा। बाबर ने अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए आगरा, उत्तरप्रदेश में एक सुंदर सा बगीचा भी बनवाया था।

बाबर द्वारा मुगल साम्राज्य की स्थापना

Establishment of Mughal Empire by Babur in Hindi

बाबर अब भारत में तेजी से मुगल साम्राज्य का विस्तार कर रहा था और अब तक बाबर का शासन कंधार से बंगाल की सीमा के साथ राजपूत रेगिस्तान और रणथंभौर, ग्वालियर और चंदेरी के किले समेत दक्षिणी सीमा के अंदर सुरक्षित हो चुका था।

हालांकि, कोई स्थगित प्रशासन नहीं था, केवल झगड़ा करने वाले प्रमुखों की एक कन्जरी थी। मुगल शासक ने अपना साम्राज्य का विस्तार तो कर लिया था लेकिन अभी भी उसे शांत और संगठित किया जाना था। इस यह एक अनिश्चित विरासत थी जिसे बाबर की मौत के बाद उसके बड़े बेटे हुमायूं को सौंप दी गई।

मुगल बादशाह बाबर की मृत्यु

Death of Mughal Emperor Babur in Hindi

मुगल बादशाह बाबर ने अपने आखिरी समय में लगभग भारत के ज्यादातर इलाकों में मुगल साम्राज्य का विस्तार कर दिया था बाबर ने पंजाब, दिल्ली और बिहार जीत लिया था। बाबर ने अपनी मौत से पहले अपनी आत्मकथा बाबरनामा लिखी थी जिसमें उसमें अपनी बहादुरी की सभी छोटी-बड़ी बातों का जिक्र किया था इसके साथ ही बाबरनामे में मुगल शासक ने उसके जीवन की सभी लड़ाइयों का भी का उल्लेख किया था।

1530 में बाबर की मौत बीमारी की वजह से हो गई थी बाबर का अंतिम संस्कार अफगानिस्तान में जाकर हुआ था। बाबर की मौत के बाद उसके बड़े बेटे हुमायूं को मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाया गया और उन्होनें दिल्ली की सल्तनत पर राज किया।

बाबर का विरासत

Babur’s legacy in Hindi

बाबर को मुगल साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है, भले ही मुगल साम्राज्य को उनके पोते अकबर ने मजबूती दी थी लेकिन बाबर का कुशल और शक्तिशाली नेतृत्व अगले दो पीढि़यों को प्रेरित करता रहा। बाबर का व्यक्तित्व संस्कृति, साहसिक उतार-चढ़ाव और सैन्य प्रतिभा जैसी खूबियों से भरा हुआ था।

बाबर एक आकर्षक और धनी प्रतिभा का व्यक्तित्व था। वो एक शक्तिशाली, साहसी, कुशल और भाग्यशाली होने के साथ मुगल साम्राज्य का निर्माता था। बाबर एक प्रतिभाशाली तुर्की कवि भी था, जो प्रकृति से बेहद प्रेम करता था।

जिसने अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए बगीचों का भी निर्माण करवाया था। इसके साथ ही बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा भी लिखी थी। जिसका तुर्की से फारसी में अनुवाद 1589 में अकबर के शासनकाल में किया गया था।

मुगल बादशाह बाबर को उजबेकिस्तान का राष्ट्रीय नायक भी माना जाता था, और उनकी कई कविताएं उनकी लोकप्रिय उज़्बेक लोक गीत बन गए। अक्टूबर 2005 में, पाकिस्तान ने उनके सम्मान में उनके नाम से बाबुर क्रूज मिसाइल विकसित की थी।

बाबर द्वारा निर्मित स्मारक

Monuments built by Babur in Hindi

1526 मे बाबर का भारत पर पूर्ण रूप से आधिपत्य स्थापित हो गया था, जिसमे 1526 को पानिपत के प्रथम युध्द मे इब्राहीम लोदी को बाबर द्वारा करारी हार का सामना करना पडा था। इस विजय के बाद पानिपत मे बाबर ने एक मस्जिद का निर्माण किया था जिसे बाबर के पानिपत विजय के प्रतिक के रूप मे बनाया गया था। जिसे “पानिपत मस्जिद” के नाम से जाना जाता हैं।

अपने सैन्य के प्रमुख सेनापती मीर बांकी के निगराणी मे बाबर ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर मे रामकोट यानि के राम मंदिर के जगह पर एक मस्जिद बनाई थी जो के “बाबरी मस्जिद” के नाम से प्रसिध्द हुई थी।

हालाकि इन दोनो वास्तूओ के अतिरिक्त बाबर के कार्यकाल मे जामा मस्जिद, काबुली बाग मस्जिद इसके अलावा अन्य कुछ भी स्मारक के निर्माण की जानकारी उपलब्ध नही है।

मुगल बादशाह बाबर के बारे में अधिकतर बार पुछे गये सवाल

Quiz on Babar in Hindi

सवाल 1 -बाबर ने भारत पर कुल कितने बार आक्रमण किया था?

जवाब: पाँच बार।

सवाल 2. भारत मे बाबर कब आया था? (Babar Bharat Kab Aaya Tha?)

जवाब: १५१९ से लेकर १५२६ तक कुल पाँच बार बाबर ने भारत पर आक्रमण किया था पर वो १५२६ मे भारत मे अपनी सत्ता स्थापित करने मे सफल हुआ।इस तरह १५२६ मे बाबर भारत मे पहली बार आया।

सवाल 3. बाबर का मकबरा (Tomb) कहा पर स्थित है? (Babur Tomb)

जवाब: वैसे तो बाबर को भारत मे आगरा शहर मे दफनाया गया था, पर उसकी अंतिम इच्छा थी के उसे काबुल मे दफनाया जाए इसलिये उसे पुनः अफगानिस्तान के काबुल शहर मे दफनाया गया जहा उसका मकबरा मौजूद है।

सवाल 4. भारत मे मुगल शासन की नींव किसने रखी? भारत मे मुगल साम्राज्य का संस्थापक कौन है? (Who was the Founder of Mughal Empire in India)

जवाब: झहीरुद्दिन मुहम्मद ‘बाबर’।

सवाल 5. पानिपत का प्रथम युध्द कब और किसके बीच मे हुआ था?

जवाब: २१ अप्रैल १५२६ को इब्राहीम लोदी और बाबर के बीच।

सवाल 6. बाबर को भारत मे आने का न्योता किसने दिया था? (Who Invited Babur to Invade India?)

जवाब: पंजाब के शासक दौलतखान लोदी और मेवाड के शासक राणा सांगा ने बाबर को भारत आने का न्योता दिया था।

सवाल 7. राणा संगा और बाबर के बीच हुआ युध्द किस नाम से जाना जाता है?

जवाब: खानवा का युध्द।

सवाल 8. भारत मे बाबर ने कितने सालो तक राज्य किया?

जवाब: 4 साल।

सवाल 9. बाबर की मृत्यू कब और कहा पर हुई थी? (Where did Babur Died & How did Babur Died)

जवाब: 26 दिसंबर 1530 को आगरा शहर मे बाबर की मृत्यू हुई थी।

तो आपको यह पोस्ट बाबर का इतिहास History of Aurangzeb in Hindi, बाबर का प्रारंभिक जीवन, शासनकाल और प्रमुख युद्ध के साथ साथ Aurangzeb History Biography Jeevan Parichay In Hindi Date Of Birth, Birth Place, Father, Mother, Children, Fight, Mughal King, Empire कैसा लगा कमेंट मे जरूर बताए और इस पोस्ट को लोगो के साथ शेयर भी जरूर करे..

शेयर करे
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Categories